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वसंत फिर आता है : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, February 14, 2010


वसंत आता है -
जब घर में जन्म लेती है बिटिया!

वसंत झिलमिलाता है -
जब उसके नयनों में सरसता है अपनापन!

वसंत मुस्कराता है -
जब मन पर सजते हैं उसकी मुस्कान के सुमन!

वसंत खिलखिलाता है -
जब सुवासित हवा को गुदगुदाते हैं उसके बोल!

वसंत गुनगुनाता है -
जब पुलकती है उसकी पैजनियों की झनक!

वसंत लजाता है -
जब उसके कपोलों पर खिलखिलाता है गुलमोहर!

वसंत महकता है -
जब उसके उर में विहँसता है गुलाब!

वसंत किलकता है -
जब उसके मन में जन्म लेता है आनंद!

वसंत अकुलाता है -
जब उसके हाथों पर रचता है अमलतास!

वसंत चला जाता है -
जब वह करती है सोलह सिंगार!

वसंत फिर आता है -
जब ... ... ... ..
रावेंद्रकुमार रवि

10 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) February 14, 2010 at 12:47 PM  

बहुत ही प्यारी प्रस्तुति ....बसंत सी खिलाती हुई

डॉ टी एस दराल February 14, 2010 at 1:04 PM  

बहुत सुन्दर भाव लिए रचना। बधाई।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' February 14, 2010 at 1:10 PM  

सुन्दर प्रस्तुति!
बिटिया की महिमा अनन्त है!
बिटिया से घर में बसन्त है!!

निर्मला कपिला February 14, 2010 at 6:10 PM  

बहुत सुन्दर बसंती रचना है बधाई

समयचक्र February 14, 2010 at 7:32 PM  

बहुत ही प्यारी रचना प्रस्तुति...

रंजन (Ranjan) February 14, 2010 at 10:42 PM  

bahut khub..

Chandan Kumar Jha February 15, 2010 at 11:14 PM  

सुन्दर प्रतिबिंबो से अलंकृत सुन्दर रचना । ऐसी रचना पढ़कर सच में बसंत चला आता है ।

Chandan Kumar Jha February 15, 2010 at 11:14 PM  

सुन्दर प्रतिबिंबो से अलंकृत सुन्दर रचना । ऐसी रचना पढ़कर सच में बसंत चला आता है ।

रावेंद्रकुमार रवि March 11, 2010 at 8:04 PM  

Udan Tashtari ने कहा…

सच कहा -बिटिया से ही बसंत आता है. सुन्दर रचना.
January 31, 2009 6:39 AM

purnima ने कहा…

happy basant panchmi!!!!!!!!! वसंत मुस्कराता है – जब मन पर सजते हैं उसकी मुस्कान के सुमन!
January 31, 2009 3:27 PM

Dr.Roop Chandra Shastri "Mayank" ने कहा…

किलकारी की गूँज सुनाती, परिवारों को यही बसाती। नारी नर की खान रही है, जन-जन का अरमान रही है। बिटिया की महिमा अनन्त है, इससे ही घर में बसन्त है।
February 3, 2009 6:58 PM

creativekona ने कहा…

रवि जी , अपने बिल्कुल सही लिखा है ,जब घर में बेटियाँ आती हैं तो वसंत आता है .काश की यही विचार हमारे देश ,दुनिया के हर व्यक्ति के अन्दर आ जायें .....तो शायद समाज में नारी को उसका हक़ ,सम्मान सभी कुछ मिल जाए.शुभकम्नाये हेमंत कुमार
February 8, 2009 9:47 PM

JHAROKHA ने कहा…

Ravi ji, apko bahut bahut dhanyavad jo ap mera blog padhte hain.apne is kavita men sach kaha hai..ki betiyaon se basant ata hai.apkee ye kavit is bat ka parichayak hai ki apke andar betiyon,ladkiyon ke liye kitnee komal anubhootiyan hain.bahut achchhee kavita ke liye fir ek bar badhai. Poonam
February 21, 2009 9:54 AM

Syed Akbar ने कहा…

बिलकुल सच है.. हमारी बिटिया लविज़ा के आने के बाद आजकल हम ऐसा ही अनुभव कर रहे है.
March 29, 2009 9:35 AM

Syed Akbar ने कहा…

बिलकुल सच है.. हमारी बिटिया लविज़ा के आने के बाद आजकल हम ऐसा ही अनुभव कर रहे है.
March 29, 2009 9:35 AM

Nirmla Kapila ने कहा…

raviji laviza jesi beti ho to geet apne aap hi footane lagte hain bahut sunder rachna ke liye bdhai
March 29, 2009 11:30 AM

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता....बेटी तो घर में अनेक खुशियाँ लेकर आती है !वह अपने चहुँ और खुशबु बिखेरती है..!पर कुछ लोग अभी भी न जाने क्यूँ इसे समझ नहीं पाते..
May 18, 2009 10:57 AM

ज्योति सिंह ने कहा…

aap ki tarah hi sabke unch vichaar ho jaaye to basant sada bahaar ho jaaye .aap bahut achchhaa likhte hai .agar paas hoti to gyan grahan karti .betiyon ke liye aap ki soch ,bahut umda hai .
May 29, 2009 3:54 PM

Nirmla Kapila ने कहा…

बिल्कुल सही कहा बेटियों के बिना घर सूना ही लगता है बहुत सुन्देरभिव्यक्ति है आभार्््
June 5, 2009 8:01 PM

shikha varshney ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत रचना है ...एकदम सरस झरने जेसी
July 9, 2009 12:39 AM

March 11, 2010 6:32 AM

रानीविशाल October 2, 2010 at 2:34 AM  

वसंत लजाता है -
जब उसके कपोलों पर खिलखिलाता है गुलमोहर!

वसंत महकता है -
जब उसके उर में विहँसता है गुलाब!

वसंत किलकता है -
जब उसके मन में जन्म लेता है आनंद!

आपकी रचना तो बसंत से भी ज्यादा खुबसूरत लगी रवि साहब , हर एक पंक्ति बहुत खुबसूरत है . बिटिया कैसे घर आँगन में बसंत बहार ले आती है खूब कहा आपने

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