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अनुरोध : रावेंद्रकुमार रवि

>> Wednesday, April 14, 2010

अनुरोध










मेरा

हृदय-सुमन
पलकों में
सजा
सुमन
बन जाओ!

और

सुमन में
मेरे मन के
सुर का
गीत
सजाओ!

सुमन
मैं भी बन जाऊँगा,
तुम्हारा मीत कहाऊँगा!


रावेंद्रकुमार रवि

7 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर April 14, 2010 at 4:44 PM  

... बेहद प्रभावशाली
!

Yugal April 14, 2010 at 5:25 PM  

sundar padhya

संगीता स्वरुप ( गीत ) April 14, 2010 at 6:31 PM  

खूबसूरत भाव....सुन्दर रचना..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' April 14, 2010 at 8:55 PM  

VERY NICE.

कविता रावत April 17, 2010 at 10:06 AM  

और
सुमन में
मेरे मन के
सुर का
गीत
सजाओ!
.. bahut khoob...

वन्दना अवस्थी दुबे April 18, 2010 at 5:46 PM  

सुन्दर गीत. बधाई.

हर्षिता April 21, 2010 at 12:27 AM  

खूबसूरत भाव लिए हुई रचना।

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