शेर और सियार : लघुकथा : रावेंद्रकुमार रवि
>> Saturday, August 7, 2010
शेर और सियार
पास-पास के दो जंगलों में दो अलग-अलग शेरों का राज था।
एक जंगल के राजा ने सेवकों के रूप में कुछ सियार पाल रखे थे। सियारों का काम केवल इतना था कि वे राजा के आगे-पीछे चलते थे।
राजा शिकार करके पहले भोजन करता था और उसके बाद बचे हुए मांस को खाकर सियार अपना पेट भरते थे। इस प्रकार सियारों के दिन बहुत मज़े में कट रहे थे।
एक दिन राजा अस्वस्थ हो गया और उसने सियारों को ही शिकार करने का आदेश दे दिया। पहले तो सियारों को थोड़ी मुश्किल हुई, पर मिल-जुलकर उन्होंने एक शिकार कर ही डाला। शिकार करते ही उन्हें लगा कि वे भी राजा बन सकते हैं। यह विचार आते ही वे तुरंत उस शिकार को चट कर गए।
इसके बाद उन्होंने अस्वस्थ राजा को भी मारकर खा लिया और संयुक्त रूप से अपने आप को जंगल का राजा समझने लगे। जब पड़ोसी जंगल के राजा को यह समाचार मिला, तो उसने तुरंत उन सियारों का शिकार कर डाला और उस जंगल पर भी राज करने लगा।
रावेंद्रकुमार रवि
पास-पास के दो जंगलों में दो अलग-अलग शेरों का राज था।
एक जंगल के राजा ने सेवकों के रूप में कुछ सियार पाल रखे थे। सियारों का काम केवल इतना था कि वे राजा के आगे-पीछे चलते थे।
राजा शिकार करके पहले भोजन करता था और उसके बाद बचे हुए मांस को खाकर सियार अपना पेट भरते थे। इस प्रकार सियारों के दिन बहुत मज़े में कट रहे थे।
एक दिन राजा अस्वस्थ हो गया और उसने सियारों को ही शिकार करने का आदेश दे दिया। पहले तो सियारों को थोड़ी मुश्किल हुई, पर मिल-जुलकर उन्होंने एक शिकार कर ही डाला। शिकार करते ही उन्हें लगा कि वे भी राजा बन सकते हैं। यह विचार आते ही वे तुरंत उस शिकार को चट कर गए।
इसके बाद उन्होंने अस्वस्थ राजा को भी मारकर खा लिया और संयुक्त रूप से अपने आप को जंगल का राजा समझने लगे। जब पड़ोसी जंगल के राजा को यह समाचार मिला, तो उसने तुरंत उन सियारों का शिकार कर डाला और उस जंगल पर भी राज करने लगा।
रावेंद्रकुमार रवि
3 टिप्पणियाँ:
बढ़िया!
एक अच्छी कथा !!
आप के ब्लॉग पर पहली बार आई हु कहानी अच्छी लगी अब लगता है कि हमेशा आना होगा मेरी तीन वर्षीय बेटी को कहानिया सुनने का काफी शौक है |
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