tag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post6532138370597553977..comments2023-09-16T19:18:57.948+05:30Comments on रवि मन: खिल रहा है कमल : नवगीत : रावेंद्रकुमार रविरावेंद्रकुमार रविhttp://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post-17106123280199622122011-05-30T19:11:03.006+05:302011-05-30T19:11:03.006+05:30बहुत सुंदर नवगीत....फोटो का इंतजार रहेगा...बहुत सुंदर नवगीत....फोटो का इंतजार रहेगा...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post-61207081695499198672011-05-29T07:41:23.670+05:302011-05-29T07:41:23.670+05:30.सुन्दर नवगीत . आपकी शैली अलग ही है .सुन्दर प्रस्....सुन्दर नवगीत . आपकी शैली अलग ही है .सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई . बाल मंदिर में काका जी को देखिए - http://baal-mandir.blogspot.com/डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post-62257801428226750332011-05-28T22:10:03.160+05:302011-05-28T22:10:03.160+05:30पंक में खिला कमल,
किन्तु है अमल-नवल!
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नवगीत ने म...पंक में खिला कमल,<br />किन्तु है अमल-नवल!<br />--<br />नवगीत ने मन मोह लिया!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post-2476010835354330762011-05-28T21:01:17.160+05:302011-05-28T21:01:17.160+05:30आज सारा भ्रम दूर हो गया!
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यह फूल कमल का नहीं ह...<b>आज सारा भ्रम दूर हो गया! <br />-- <br />यह फूल कमल का नहीं है, कुमुद का है! <br />-- <br />अँधेरा होने के कुछ देर पहले <br />हमें यह कली के रूप में मिला! <br />-- <br />अँधेरा होने तक लगभग २० मिनट में <br />यह पूरा खिल गया! <br />-- <br />डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक के साथ <br />मैंने इस अनोखी प्राकृतिक घटना के <br />५० फ़ोटो खींचे! <br />-- <br />जल्दी ही इन्हें फ़ोटो-फ़ीचर के रूप में <br />सरस पायस पर प्रकाशित किया जाएगा! <br />-- <br />अब आप इस गीत को <br />खिल रहा है कुमुद<br />करके भी गा सकते हैं!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2767477476115393900.post-39031415055538808602011-05-28T10:16:22.928+05:302011-05-28T10:16:22.928+05:30आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने ललित निबं...<b>आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने ललित निबंध<br />. <br /><a href="http://www.abhivyakti-hindi.org/1purane_ank/2000/09_2000/maagh.htm" rel="nofollow">महाकवि माघ का प्रभात वर्णन!</a> <br />. <br />में स्पष्ट लिखा है - <br />. <br />जब कमल शोभित होते हैं, तब कुमुद नहीं, और जब कुमुद शोभित होते हैं तब कमल नहीं। दोनों की दशा बहुधा एक सी नहीं रहती। परन्तु इस समय, प्रातःकाल, दोनों में तुल्यता देखी जाती है। कुमुद बन्द होने को है; पर अभी पूरे बन्द नहीं हुए। उधर कमल खिलने को है, पर अभी पूरे खिले नहीं। एक की शोभा आधी ही रह गयी है, और दूसरे को आधी ही प्राप्त हुई है। रहे भ्रमर, सो अभी दोनों ही पर मंडरा रहे हैं और गुंजा रव के बहाने दोनों ही के प्रशंसा के गीत से गा रहे हैं। इसी से, इस समय कुमुद और कमल, दोनों ही समता को प्राप्त हो रहे हैं। <br />. <br />हो सकता है कि यह फूल कुमुद का हो, <br />जिसे कमल समझकर मेंने यह गीत रचा!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.com