लिखना, कैसी हो तुम?
आशा है यह पत्र पहुँच जाएगा
तुम तक और तुम्हारे मन भाएगा,
पढ़कर इसको ख़ुश होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
धान के खेत और उनमें लगी बालियाँ
यानि कि वसुधा की धानी चूनर में फूल,
अब मुस्कराने लगे होंगे ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
धान की बालियों से उठती सुगंध
आकर तुम्हारे पास, चुपके से कुछ
कह जाती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
गुनगुनाने लगी होगी अब वहाँ की
धूप भी, शीत की अठखेलियों के साथ,
तुम्हें भाती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
पास बैठकर खिड़की के
चुपचाप गाँव की पगडंडी को
रोज़ देखती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
पथ निहारने का कारण क्या?
कोई आ जाएगा क्षण में,
यही प्रतीक्षा तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
किसी के लिए, हाथ हिलाकर
दूर जा रहे बदली-दल को
संदेश तो कुछ देती होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?
रावेंद्रकुमार रवि
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