नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

ऐसे करवाचौथ मनाओ : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि

>> Tuesday, October 26, 2010

ऐसे करवाचौथ मनाओ! 


ख़ुशियों का मधुमास बुलाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!

मन से मन तक डोर
प्रणय की बाँधो मन से,
उसे भिगोकर अपने
प्रियतम् के सुमिरन से,

सुधियों से परिहास सजाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!

यौवन तक खिल-खिलकर
जो आया बचपन से,
पुलिकत झलक-झलककर
जो सुखमय जीवन से,

वह निश्छल विश्वास जगाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!

रावेंद्रकुमार रवि

क्वाँर की इस साँझ : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, October 17, 2010

क्वाँर की इस साँझ




ले रही है नाम
नूपुर-झाँझ
प्रीतम-मीत का!
गा रही है गीत
अब गोधूलि
सोनल प्रीत का!

क्वाँर की इस साँझ
साजन ने
न जाने कह दिया क्या
मधुर उसके कान में!

फिर रही सजनी पुलक
घर-आँगने
मोहिनी मुस्कान मन-भर
सज नए परिधान में!

छुअन को महका रहा है
सरस झोंका प्यार-सा
मधु-सीत का!
चल पड़ा है सिलसिला अब
हर नवेली रात में
नव-रीत का!


रावेंद्रकुमार रवि

लिखना, कैसी हो तुम? : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, October 10, 2010

लिखना, कैसी हो तुम?




आशा है यह पत्र पहुँच जाएगा
तुम तक और तुम्हारे मन भाएगा,
पढ़कर इसको ख़ुश होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

धान के खेत और उनमें लगी बालियाँ
यानि कि वसुधा की धानी चूनर में फूल,
अब मुस्कराने लगे होंगे ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

धान की बालियों से उठती सुगंध
आकर तुम्हारे पास, चुपके से कुछ
कह जाती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

गुनगुनाने लगी होगी अब वहाँ की
धूप भी, शीत की अठखेलियों के साथ,
तुम्हें भाती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

पास बैठकर खिड़की के
चुपचाप गाँव की पगडंडी को
रोज़ देखती तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

पथ निहारने का कारण क्या?
कोई आ जाएगा क्षण में,
यही प्रतीक्षा तो होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?

किसी के लिए, हाथ हिलाकर
दूर जा रहे बदली-दल को
संदेश तो कुछ देती होगी ना?
लिखना -
कैसी हो तुम?
अच्छी तो हो ना?



रावेंद्रकुमार रवि

अहिंसक? : लघुकथा : रावेंद्रकुमार रवि

>> Saturday, October 2, 2010

अहिंसक?

गांधी-जयंती के अवसर पर नेताजी भाषण दे रहे थे -

"हमें सदैव सत्यपथ का अनुसरण करना चाहिए। यदि हमको कोई कष्ट पहुँचाए, तो हमें उसके भले के लिए सोचना चाहिए। अपने धर्म के प्रति हमें कभी भी उदासीन नहीं होना चाहिए। हमें संसार के प्रत्येक जीव पर दया-दृष्टि रखनी चाहिए। सत्य, अहिंसा और धर्म का पालन करना हमारा परम कर्तव्य ... ... ...

वे भाषण दे ही रहे थे कि कहीं से एक मच्छर गुनगुनाता हुआ आया और उनका भाषण सुनकर इतना प्रसन्न तथा प्रभावित हुआ कि उसने नेताजी के गाल पर एक ज़ोरदार चुंबन जड़ दिया। सभी "चटाक्" की आवाज़ हुई और अगले ही पल वह नेताजी के हाथों यमलोक पहुँचा दिया गया।

किंचित व्यवधान के पश्चात नेताजी पुन: बोलने लगे -

"हाँ, तो मैं कह रहा था कि सत्य, अहिंसा ... ... ...

-- रावेंद्रकुमार रवि

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