मिलने का मौसम आया है : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि
>> Thursday, February 25, 2010
मिलने का मौसम आया है
होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
अंग-अंग सेधार रंग की,करे ख़ूब परिहास!बरज़ोरीकर-करके छेड़े,आँचल को वातास!होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
लेकर चुंबनमधुर गाल का,करती अलक विलास!काट चिकोटीकसी कमर मेंकरे करधनी हास!होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
मधुर सुगंधितछोड़ रही हैं,साँसें प्रीत-सुवास!अधर-अधर सेसरस कर रहे,मधुमय मधु-सहवास!होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
मिलने कामौसम आया है,मुख पर सजी उजास!मधु-संकेतकरे साजन कोप्रिया बुलाए पास!होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
रावेंद्रकुमार रवि