नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

खिल रहा है कमल : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि

>> Saturday, May 28, 2011

खिल रहा है कमल

शाम है अनमनी
किंतु आशा नवल!
चाँदनी में धवलखिल रहा है कमल! 

कर रहा है सुस्वागत
मधुर रात का! 
रात में हो रही, हर 
मधुर बात का! 
भोर में मिल सकेगी ख़ुशी अब नवल!

फब रही है खिलन
मेह में झूमकर! 
मन हुआ है मगन
नेह में डूबकर! 
मेल का खेल है, पाँव रखना सँभल! 

रावेंद्रकुमार रवि 
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आँखों में उसकी : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि

>> Saturday, May 21, 2011

आँखों में उसकी


जियरा मचल-मचल गाए, ज्यों
नदिया में पतवार!
प्यार की पड़ने लगी फुहार!
प्यार की ... ... .

मेंहदी रचे हाथ को कसकर
पहली-पहली बार,
क्वाँरे हाथों में पहनाए
ज्यों चूड़ी मनिहार,
वैसे ही सज जाए मन में
चाहत का सिंगार!
प्यार की ... ... .

खिली, अधखिली कली देखकर
मन ही मन मुस्काए,
उसकी छवि की हँसी देखकर
गुन-गुनकर कुछ गाए,
आँखों में उसकी वसंत का
हो जाए दीदार!
प्यार की ... ... .

रावेंद्रकुमार रवि

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