दीपक-बाती झूम रहे हैं : कविता : रावेंद्रकुमार रवि
>> Friday, October 21, 2011
दीपक-बाती झूम रहे हैं
गीत सुनाते
चहकें हिलमिल
बच्चे घर के आँगन में!
ज्यों चहकें
सतरंगे बादल
नीलगगन में सावन में!
सबके ओठों
पर बिखरी
हैं खीलों-सी मुस्कानें!
और सजी हैं
आँखों में
सपनों की मधुर दुकानें!
दीपक-बाती
झूम रहे हैं
बँधे प्रेम के बंधन में!
किलक रहीं
फुलझड़ी-सरीखी
झिलमिल ख़ुशियाँ हर मन में !
रावेंद्रकुमार रवि
5 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर गीत ..दीपावली की शुभकामनायें
बहुत प्यारा गीत...
सादर बधाई....
बहुत हि सुन्दर और प्यारा गीत!
दीवाली कि शुभकामनाएं!
सुन्दर रचना!
आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली, गोवर्धनपूजा और भइयादूज की शुभकामनाएं!
bahut sundar geet..
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