नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

जो तुम्हारे पास है : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, August 29, 2010

जो तुम्हारे पास है


तुम मुझे आज तक
शुभकामनाएँ देती रही हो -
ईश्वर तुम्हें जीवन की हर ख़ुशी दे!

यदि चाहती हो तुम
सचमुच ऐसा,
तो मेरे जीवन की
वह ख़ुशी,
जिसको पाए बिना
मैं कभी
पूरी तरह से
ख़ुश नहीं हो सकता,
मुझे क्यों नहीं दे देतीं?

वह तो तुम्हारे पास ही है,
ईश्वर के पास नहीं!

रावेंद्रकुमार रवि

जहाँ तुम होओगी : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, August 22, 2010

बादलों के रूप में




तुम,
मुझसे
चाहे कितनी भी दूर
चली जाओ,

किंतु
मेरे आँसू
तुम्हारा पीछा
कभी नहीं छोड़ेंगे!

गालों पर
लुढ़कने से पहले ही
वाष्प बनकर
उड़ जाएँगे

और
बादलों के रूप में
संघनित
होने के बाद

एक-दूजे से
टकराकर
वहीं बरस पड़ेंगे,
जहाँ तुम होओगी!

रावेंद्रकुमार रवि

तुम्हारी याद आती है : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, August 15, 2010

तुम्हारी याद आती है




अनुपम नूपुर धुन सुनकर
स्वप्निल निंदिया
जब दूर कहीं
उड़ जाती है,
तुम्हारी याद आती है!

क्षणदा में व्याकुल मालती
बैठकर कनेर पर
जब बिरह का
गीत गाती है,
तुम्हारी याद आती है!

भोर के सुहाने क्षणों में
अहले-गहले अल्हड़ पवन
जब जगाने को मुझे
चादर उड़ाती है,
तुम्हारी याद आती है!

बरसाती पानी में
छप-छप करती
चंचल गौरइया
जब नहाती है,
तुम्हारी याद आती है!

नीम की फुनगी पर
अभिगुंजन करती बुलबुल
कोई निबोली अधपकी
जब गिराती है,
तुम्हारी याद आती है!


रावेंद्रकुमार रवि

शेर और सियार : लघुकथा : रावेंद्रकुमार रवि

>> Saturday, August 7, 2010

शेर और सियार

पास-पास के दो जंगलों में दो अलग-अलग शेरों का राज था।

एक जंगल के राजा ने सेवकों के रूप में कुछ सियार पाल रखे थे। सियारों का काम केवल इतना था कि वे राजा के आगे-पीछे चलते थे।

राजा शिकार करके पहले भोजन करता था और उसके बाद बचे हुए मांस को खाकर सियार अपना पेट भरते थे। इस प्रकार सियारों के दिन बहुत मज़े में कट रहे थे।

एक दिन राजा अस्वस्थ हो गया और उसने सियारों को ही शिकार करने का आदेश दे दिया। पहले तो सियारों को थोड़ी मु‍श्किल हुई, पर मिल-जुलकर उन्होंने एक शिकार कर ही डाला। शिकार करते ही उन्हें लगा कि वे भी राजा बन सकते हैं। यह विचार आते ही वे तुरंत उस शिकार को चट कर गए।

इसके बाद उन्होंने अस्वस्थ राजा को भी मारकर खा लिया और संयुक्त रूप से अपने आप को जंगल का राजा समझने लगे। जब पड़ोसी जंगल के राजा को यह समाचार मिला, तो उसने तुरंत उन सियारों का शिकार कर डाला और उस जंगल पर भी राज करने लगा।


रावेंद्रकुमार रवि

Related Posts with Thumbnails

"सप्तरंगी प्रेम" पर पढ़िए मेरे नवगीत -

आपकी पसंद

  © Blogger templates Sunset by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP