कविता एक सुरीली : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत
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*सभी नन्हे साथियों को ढेर-सारा प्यार!*
नए साल में मैं अभी तक
सरस पायस पर कोई रचना नहीं सजा पाया था!
आज अंतरजाल पर विचरण करते समय
मेरी मुलाकात अनुष्का से...
13 years ago
2 टिप्पणियाँ:
गालों पर
लुढ़कने से पहले ही
वाष्प बनकर उड़ जाएँगे
और बादलों के रूप में
संघनित होने के बाद
एक-दूजे से टकराकर
वहीं बरस पड़ेंगे,
जहाँ तुम होओगी!
क्या बात है!! बहुत खूब!!
माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें:
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
मेरे आँसू
तुम्हारा पीछा
कभी नहीं छोड़ेंगे!
बेहतरीन!
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