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कविता : इसीलिए तुम भी उदास हो : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, November 3, 2013

इसीलिए तुम भी उदास हो

रावेंद्रकुमार रवि


पहले तुम जब भी आती थीं,
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ लाती थीं!
पहले तुम जब भी जाती थीं,
ख़ुशियाँ ही देकर जाती थीं!

लेकिन अब तुम जब आती हो,
ख़ुशियाँ कहीं छुपा आती हो!
लेकिन अब तुम जब जाती हो,
ख़ुशियाँ कहीं छुपा जाती हो!

मैं चाहूँ तुम जब भी आओ,
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ ले आओ!
मैं चाहूँ तुम जब भी जाओ,
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ दे जाओ!

लेकिन तुमने ख़ुशियोंवाली,
बात नहीं करने की ठानी!
मेरे मन की बात सुनी ना,
बस अपने ही मन की मानी!

आज तुम्हारे मैं न पास हूँ,
तुम भी मेरे नहीं पास हो!
इसीलिए मैं भी उदास हूँ,
इसीलिए तुम भी उदास हो!


रावेंद्रकुमार रवि

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