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कविता : तुम्हारी ख़ुशी के लिए : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, August 2, 2015

 तुम्हारी ख़ुशी के लिए
मेरे दोस्त!
मैं मुस्कराता हूँ!
क्योंकि मैं रोज़ तुम्हारे सपनों में आता हूँ!

तुम्हारी ख़ुशी के लिए
अपनी ख़ुशियाँ भूल जाता हूँ!
तुम्हें कर सकूँ
अपना बहुत कुछ समर्पित,
इसलिए अपने लिए
बस ज़रा-सा बचाता हूँ!

मेरे दोस्त
मैं गुदगुदाता हूँ!
क्योंकि मैं अपने मन में तुम्हारी मुस्कराहट सजाता हूँ!

तुम्हारे सपने सजाने के लिए
अपने सपनों को छुपाता हूँ!
मेरा मन अकेले में
जो कुछ भी रचता है,
उसमें भरकर नेह के सुर
सब तुम्हें ही सुनाता हूँ!

मेरे दोस्त!
मैं गुनगुनाता हूँ!
क्योंकि मैं तुम्हारी साँसों में अपनी ही ख़ुशबू पाता हूँ!

--- रावेंद्रकुमार रवि ---

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