नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

मंदिर है मन : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Saturday, January 14, 2012


मंदिर है मन 


सोलह शृंगार तुम्हारे 
महकता सुमन! 
तभी तो अभी तक - 
मंदिर है मन!


रावेंद्रकुमार रवि

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