नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

सुमधुर आवाज़ : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, March 26, 2010

सुमधुर आवाज़











जब भी
आती
है याद
वह सिंदूरी शाम,
जब देखा था मैंने
तुम्हें पहली-पहली बार,

अनुगुंजित

होती
है
अंतस के कोनों में
यह सुमधुर आवाज़ --
"
प्रिया, ख़त लिखूँ तुम्हें!"


रावेंद्रकुमार रवि

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ब्याह रचाने को : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, March 19, 2010

ब्याह रचाने को












मुझे
देखकर
जब
करती
है
नृत्य
तुम्हारी
अधर-परी!

उससे
ब्याह
रचाने
को
चल
पड़ती
मेरी
हृदय-परी!

रावेंद्रकुमार रवि

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कुछ दिनों बाद : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, March 12, 2010

कुछ दिनों बाद











नहीं कहूँगा -
तुम मेरी हो,
तुम भी मत कहना -
तुम मेरे!

बस यूँ ही
मिलती रहना,
मुस्कानों के

उपहार सहित!


कुछ दिनों बाद
सब स्वयं कहेंगे -
वह उसकी,

वह उसका है!

--

रावेंद्रकुमार रवि

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जादू : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, March 5, 2010

जादू











दुनिया की भीड़ में
अनगिनत चेहरों से जुड़े
बहुत से नामों को
मैंने
अपने कोरे मन-पृष्ठ पर
लिखना चाहा,
लेकिन लिख नहीं पाया!

कुछ
आड़ी-तिरछी
रेखाएँ ही बन पाईं!

लेकिन उस रोज़
जब देखा मैंने -
एक प्यारा-सा चेहरा,
तो एक अजीब-सी हरक़त हुई
उन आड़ी-तिरछी रेखाओं में
और
अपने आप ही लिख गया
मेरे मन-पृष्ठ पर
एक प्यारा-सा नाम -
तुम्हारा!

रावेंद्रकुमार रवि

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