नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

क्वाँर की दहलीज पर : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, September 24, 2010

क्वाँर की दहलीज पर


गुनगुनी होने लगी है
दपदपाती धूप अब तो
क्वाँर की दहलीज पर धर पाँव!

नवविवाहित युगल-जैसी
मुदित है हर भोर अब तो
हो रहा मधुमास पूरा गाँव!

है बुलाती पास अपने
सरसती वातासि अब तो
धानवाले खेत नंगे पाँव!

सोच परदेसी पिया का
गाल पर धर हाथ अब तो
करे सजनी बैठ पीपल छाँव!

झूठ-से लगते उसे हैं
सगुन के सब काज अब तो
झूठ-सी ही भोर की अब काँव!


रावेंद्रकुमार रवि

चूड़ियाँ ये आपकी : ग़ज़ल : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, September 17, 2010

चूड़ियाँ ये आपकी


चूमकर गोरी कलाई, ढीठ बनकर आपकी!
मुँह चिढ़ाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा!
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

छोड़कर सब काम आना, रोज़ पड़ता है हमें!
जब बुलाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

अगर चाहा रूठना, आपसे हमने ज़रा भी!
मना लेती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

प्रीत के मधु पलों में, गीत पावन मिलन के!
सुना देती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रूप धर जब किरण-सा, बात रवि की मानतीं!
ख़ूब भाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रावेंद्रकुमार रवि

मैं + तुम = एक : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, September 5, 2010

मैं + तुम = एक


अब तक
कठिन से कठिन
भौतिकी के सैकड़ों सूत्र
चुटकी बजाते
हल कर चुका हूँ!

गणित के
समीकरण भी
सिद्ध करने में
कभी नहीं चूका!

किंतु फिर भी
एक समीकरण
अभी तक
सिद्ध नहीं कर पाया,

जो कभी
दिया था तुमने -
"मैं + तुम = एक"

रावेंद्रकुमार रवि

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