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चूड़ियाँ ये आपकी : ग़ज़ल : रावेंद्रकुमार रवि

>> Friday, September 17, 2010

चूड़ियाँ ये आपकी


चूमकर गोरी कलाई, ढीठ बनकर आपकी!
मुँह चिढ़ाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा!
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

छोड़कर सब काम आना, रोज़ पड़ता है हमें!
जब बुलाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

अगर चाहा रूठना, आपसे हमने ज़रा भी!
मना लेती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

प्रीत के मधु पलों में, गीत पावन मिलन के!
सुना देती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रूप धर जब किरण-सा, बात रवि की मानतीं!
ख़ूब भाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

रावेंद्रकुमार रवि

9 टिप्पणियाँ:

वीना श्रीवास्तव September 17, 2010 at 3:28 PM  

रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा!
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

छोड़कर सब काम आना, रोज़ पड़ता हैं हमें!
जब बुलाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

क्या खूब लिखा है ..ये चूड़ियां आपकी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' September 17, 2010 at 6:55 PM  

जी हाँ!
चूड़ियों की महिमा ही निराली है!

Coral September 18, 2010 at 8:37 AM  

बहुत सुन्दर रचना ....

छोड़कर सब काम आना, रोज़ पड़ता हैं हमें!
जब बुलाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

बहुत खूब ...

----
इसे भी पढ़े :- मजदूर

http://coralsapphire.blogspot.com/2010/09/blog-post_17.html

डॉ. मोनिका शर्मा September 19, 2010 at 3:59 AM  

इस खनकती रचना के लिए बधाई.....

रानीविशाल September 21, 2010 at 11:22 PM  

छोड़कर सब काम आना, रोज़ पड़ता हैं हमें!
जब बुलाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

अगर चाहा रूठना, आपसे हमने ज़रा भी!
मना लेती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

वाह ! बहुत मनोरम लगी यह रचना आपकी ....आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) September 22, 2010 at 10:05 AM  

रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा!
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!

बहुत कोमल भावनाओं के साथ गुंथी हुई है गज़ल .. सुन्दर भाव

माधव( Madhav) September 22, 2010 at 12:58 PM  

बहुत सुन्दर रचना ..

mrityunjay kumar rai

अनुपमा पाठक September 22, 2010 at 4:59 PM  

beautiful!

aviabhi November 18, 2010 at 7:45 AM  

very nice dear, keep it up .............dr avanish yadav, bareilly

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