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मैं + तुम = एक : प्रणय कविता : रावेंद्रकुमार रवि

>> Sunday, September 5, 2010

मैं + तुम = एक


अब तक
कठिन से कठिन
भौतिकी के सैकड़ों सूत्र
चुटकी बजाते
हल कर चुका हूँ!

गणित के
समीकरण भी
सिद्ध करने में
कभी नहीं चूका!

किंतु फिर भी
एक समीकरण
अभी तक
सिद्ध नहीं कर पाया,

जो कभी
दिया था तुमने -
"मैं + तुम = एक"

रावेंद्रकुमार रवि

5 टिप्पणियाँ:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार September 5, 2010 at 10:37 PM  

प्रिय रावेंद्रकुमार रवि जी

नमस्कार !

बहुत प्यारी रचना लिखी है ।

एक समीकरण
अभी तक
सिद्ध नहीं कर पाया,
जो कभी
दिया था तुमने -
"मैं + तुम = एक"


बंधु , प्रेम की पहेली बूझना कठिन ही होता है …

- राजेन्द्र स्वर्णकार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' September 6, 2010 at 8:09 AM  

प्रेम गली अति साँकरी, जा में दो न समाय!

Urmi September 6, 2010 at 10:51 AM  

बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

Coral September 6, 2010 at 11:41 AM  

"मैं + तुम = एक"

bahut sundar ....

vijay kumar sappatti September 7, 2010 at 8:58 PM  

JABARDASHT RACHNA ,

YAAR SAARI ZINDAGI ISSI SAMIKARAN KO HAL KARNE ME CHALI GAYI .. LEKIN SOLVE NAHI HUA..

AUR MUJHE LAGTA HAI KI YE KABHHI SOLVE BHI NAHI HO PAAYENGA

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