तब तक ... ... . : रावेंद्रकुमार रवि
>> Saturday, February 20, 2010
तब तक ... ... .
हमेशा ऐसे ही होती है -
मैं देर से पहुँचता हूँ
और वह
"इतनी देर क्यों कर दी?"
"देर से क्यों आए?"
देर तक पूछती रहती है!
लेकिन मैं
उत्तर दिए बिना
उसे अपलक निहारता रहता हूँ!
फिर वह भी,
मुझे!
और जब मैं चलने लगता हूँ,
तो वह
तब तक मुझसे
"कब मिलोगे?"
"कहाँ मिलोगे?"
पूछती रहती है,
जब तक कि मैं
उसे बता नहीं देता हूँ!
रावेंद्रकुमार रवि
7 टिप्पणियाँ:
समय से पहुंचा कीजिये भाई
अभी तो ठीक है बाद में कहीं दिक्कत न हो…
अनुभव से बता रहा हूं…
:-)
मै तो अशोक की टिप्पणी पढ़कर हँसे जा रहा हूँ । अब सही है सही समय से पहुंचिये तो सही सही कविता भी बनेगी ।
अरे भईया समय से पहुचा करिए हाँ आगे से ध्यान दीजियेगा , बढ़िया अभिव्यक्ति लगी ।
बड़े भाई आप किसी की बात मत मानियेगा
समय से पहुँच जाते तो ये कविता कहा बन पाती
और बिलम्ब कीजिये नहीं तो ऐसा कीजिये एक आध दिन के लिए गायब हो जाईये तब देखिये मिलने का और मज़ा आएगा ...
सुन्दर कविता सुन्दर प्रस्तुति
अशोक जी भी!! :)
बढ़िया कविता.
"समय बहुत अनमोल है, इसका रक्खो ध्यान।
गया समय आता नही, कहते हैं विद्वान।।"
सुन्दर !!!
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