कविता एक सुरीली : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत
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*सभी नन्हे साथियों को ढेर-सारा प्यार!*
नए साल में मैं अभी तक
सरस पायस पर कोई रचना नहीं सजा पाया था!
आज अंतरजाल पर विचरण करते समय
मेरी मुलाकात अनुष्का से...
13 years ago
7 टिप्पणियाँ:
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
्सुन्दर भाई…
सुकोमल भावनायें…
बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया ।
लगता है वसन्त आ गया है!
इतने कम शब्दों में मन की बात
आपने बहुत चतुराई से कह दी है!
बहुत कोमल रचना!
रवि मन में झांकना अच्छा लगा.
ye to aap uksa rahe hain... :)sundar kavitt
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