नन्हे दोस्तों को समर्पित मेरा ब्लॉग

मेरे लिए : रावेंद्रकुमार रवि

>> Monday, February 8, 2010

मेरे लिए
"मैं तुम्हारे हृदय में
झंकार भर दूँगा
प्रणय की!"

यदि नहीं
विश्वास होता है
तुम्हें इस बात पर,

खोलकर देखो ज़रा तुम,
द्वार अपने हृदय का
मेरे लिए!
--
रावेंद्रकुमार रवि

7 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर February 8, 2010 at 5:47 PM  

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Ashok Kumar pandey February 8, 2010 at 5:48 PM  

्सुन्दर भाई…

सुकोमल भावनायें…

डॉ टी एस दराल February 8, 2010 at 7:42 PM  

बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' February 8, 2010 at 9:42 PM  

लगता है वसन्त आ गया है!
इतने कम शब्दों में मन की बात
आपने बहुत चतुराई से कह दी है!

Udan Tashtari February 8, 2010 at 9:43 PM  

बहुत कोमल रचना!

देवेन्द्र पाण्डेय February 10, 2010 at 6:18 PM  

रवि मन में झांकना अच्छा लगा.

दीपक 'मशाल' February 13, 2010 at 5:35 PM  

ye to aap uksa rahe hain... :)sundar kavitt

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