जादू : रावेंद्रकुमार रवि
>> Friday, March 5, 2010
जादू
दुनिया की भीड़ में
अनगिनत चेहरों से जुड़े
बहुत से नामों को
मैंने
अपने कोरे मन-पृष्ठ पर
लिखना चाहा,
लेकिन लिख नहीं पाया!
कुछ
आड़ी-तिरछी
रेखाएँ ही बन पाईं!
लेकिन उस रोज़
जब देखा मैंने -
एक प्यारा-सा चेहरा,
तो एक अजीब-सी हरक़त हुई
उन आड़ी-तिरछी रेखाओं में
और
अपने आप ही लिख गया
मेरे मन-पृष्ठ पर
एक प्यारा-सा नाम -
तुम्हारा!
रावेंद्रकुमार रवि
8 टिप्पणियाँ:
bahut sundar..
सुन्दर कविता !!!
सुन्दर कविता !!!
जाने कितने चेहरों का दिग्दर्शन मैंने पाया!
किन्तु आपके मुखड़े ने मन मेरा बहुत लुभाया!
तुमको देखा है मैंने केवल मन की आँखों से,
इसीलिए अपने मन को अन्यत्र नहीं भटकाया!!
बहुत अच्छी कविता है।
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...आड़ी तिरछी रेखाएं एक नाम में बदल ही गयीं...बहुत सुन्दर
बहुत ही सुन्दर रचना सादगी लिए हुए
जादू
[Photo]
दुनिया की भीड़ में
अनगिनत चेहरों से जुड़े
बहुत से नामों को
मैंने
अपने कोरे मन-पृष्ठ पर
लिखना चाहा,
लेकिन लिख नहीं पाया!
कुछ
आड़ी-तिरछी
रेखाएँ ही बन पाईं!
लेकिन उस रोज़
जब देखा मैंने -
एक प्यारा-सा चेहरा,
तो एक अजीब-सी हरक़त हुई
उन आड़ी-तिरछी रेखाओं में
और
अपने आप ही लिख गया
मेरे मन-पृष्ठ पर
एक प्यारा-सा नाम -
तुम्हारा!
अदभूत, जादू कर दिया उस चेहरे ने दुनिया कि भीड में..
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