क्वाँर की इस साँझ : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि
>> Sunday, October 17, 2010
क्वाँर की इस साँझ
ले रही है नाम
नूपुर-झाँझ
प्रीतम-मीत का!
गा रही है गीत
अब गोधूलि
सोनल प्रीत का!
क्वाँर की इस साँझ
साजन ने
न जाने कह दिया क्या
मधुर उसके कान में!
फिर रही सजनी पुलक
घर-आँगने
मोहिनी मुस्कान मन-भर
सज नए परिधान में!
छुअन को महका रहा है
सरस झोंका प्यार-सा
मधु-सीत का!
चल पड़ा है सिलसिला अब
हर नवेली रात में
नव-रीत का!
रावेंद्रकुमार रवि
नूपुर-झाँझ
प्रीतम-मीत का!
गा रही है गीत
अब गोधूलि
सोनल प्रीत का!
क्वाँर की इस साँझ
साजन ने
न जाने कह दिया क्या
मधुर उसके कान में!
फिर रही सजनी पुलक
घर-आँगने
मोहिनी मुस्कान मन-भर
सज नए परिधान में!
छुअन को महका रहा है
सरस झोंका प्यार-सा
मधु-सीत का!
चल पड़ा है सिलसिला अब
हर नवेली रात में
नव-रीत का!
रावेंद्रकुमार रवि
4 टिप्पणियाँ:
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
विजयादशमी की बधाई एवं शुभकामनाएं
नवगीत अच्छा लगा!
--
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Buzz Se पद्म सिंह Padm Singh –
मोहक और सुन्दर रचना ...
17 Oct 2010
रचना अच्छी लगी !
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