ऐसे करवाचौथ मनाओ : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि
>> Tuesday, October 26, 2010
ऐसे करवाचौथ मनाओ!
ख़ुशियों का मधुमास बुलाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!
मन से मन तक डोर
प्रणय की बाँधो मन से,
उसे भिगोकर अपने
प्रियतम् के सुमिरन से,
सुधियों से परिहास सजाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!
यौवन तक खिल-खिलकर
जो आया बचपन से,
पुलिकत झलक-झलककर
जो सुखमय जीवन से,
वह निश्छल विश्वास जगाओ,
ऐसे करवाचौथ मनाओ!
रावेंद्रकुमार रवि
8 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब !!
बहुत सुंदर रचना है
bahut sundar
करवा चौथ के अवसर पर
नवगीत पढ़कर आनन्द आ गया!
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बहुत-बहुत बधाई!
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सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी पोस्ट को बुधवार के
चर्चा मंच पर लगा दिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/
aanandit kiya geet ne ..
बहुत ही सुंदर रविजी..... तभी सार्थक होगा यह व्रत उपवास...जो जीवन की खुशहाली के लिए होता है....
सुन्दर सन्देश देती सुन्दर रचना...वाह....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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