अहिंसक? : लघुकथा : रावेंद्रकुमार रवि
>> Saturday, October 2, 2010
अहिंसक?
गांधी-जयंती के अवसर पर नेताजी भाषण दे रहे थे -
"हमें सदैव सत्यपथ का अनुसरण करना चाहिए। यदि हमको कोई कष्ट पहुँचाए, तो हमें उसके भले के लिए सोचना चाहिए। अपने धर्म के प्रति हमें कभी भी उदासीन नहीं होना चाहिए। हमें संसार के प्रत्येक जीव पर दया-दृष्टि रखनी चाहिए। सत्य, अहिंसा और धर्म का पालन करना हमारा परम कर्तव्य ... ... ...
वे भाषण दे ही रहे थे कि कहीं से एक मच्छर गुनगुनाता हुआ आया और उनका भाषण सुनकर इतना प्रसन्न तथा प्रभावित हुआ कि उसने नेताजी के गाल पर एक ज़ोरदार चुंबन जड़ दिया। सभी "चटाक्" की आवाज़ हुई और अगले ही पल वह नेताजी के हाथों यमलोक पहुँचा दिया गया।
किंचित व्यवधान के पश्चात नेताजी पुन: बोलने लगे -
"हाँ, तो मैं कह रहा था कि सत्य, अहिंसा ... ... ...
गांधी-जयंती के अवसर पर नेताजी भाषण दे रहे थे -
"हमें सदैव सत्यपथ का अनुसरण करना चाहिए। यदि हमको कोई कष्ट पहुँचाए, तो हमें उसके भले के लिए सोचना चाहिए। अपने धर्म के प्रति हमें कभी भी उदासीन नहीं होना चाहिए। हमें संसार के प्रत्येक जीव पर दया-दृष्टि रखनी चाहिए। सत्य, अहिंसा और धर्म का पालन करना हमारा परम कर्तव्य ... ... ...
वे भाषण दे ही रहे थे कि कहीं से एक मच्छर गुनगुनाता हुआ आया और उनका भाषण सुनकर इतना प्रसन्न तथा प्रभावित हुआ कि उसने नेताजी के गाल पर एक ज़ोरदार चुंबन जड़ दिया। सभी "चटाक्" की आवाज़ हुई और अगले ही पल वह नेताजी के हाथों यमलोक पहुँचा दिया गया।
किंचित व्यवधान के पश्चात नेताजी पुन: बोलने लगे -
"हाँ, तो मैं कह रहा था कि सत्य, अहिंसा ... ... ...
-- रावेंद्रकुमार रवि
4 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी प्रस्तुति .....नेताओं का सही चरित्र चित्रण किया आपने
आपने तो वो पुराना चुटकुला याद दिला दिया,
मच्छर ने हमें कटा,
मच्छर का जूनून था,
खुजली मची ऐसी,
दर्द बेसुकूं था,
हमने उसे पकड़ा,
फिर छोड़ दिया यारों,
की अब कमबख्त की रगों में,
आखिर अपना ही खून था ...
जय हो अहिंसा ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
सुन्दर एवं अनुकरणीय!
--
दो अक्टूबर को जन्मे,
दो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
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