आँखों में उसकी : नवगीत : रावेंद्रकुमार रवि
>> Saturday, May 21, 2011
आँखों में उसकी
जियरा मचल-मचल गाए, ज्यों
नदिया में पतवार!
प्यार की पड़ने लगी फुहार!
प्यार की ... ... .
मेंहदी रचे हाथ को कसकर
पहली-पहली बार,
क्वाँरे हाथों में पहनाए
ज्यों चूड़ी मनिहार,
वैसे ही सज जाए मन में
चाहत का सिंगार!
प्यार की ... ... .
खिली, अधखिली कली देखकर
मन ही मन मुस्काए,
उसकी छवि की हँसी देखकर
गुन-गुनकर कुछ गाए,
आँखों में उसकी वसंत का
हो जाए दीदार!
प्यार की ... ... .
रावेंद्रकुमार रवि
7 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत सुंदर प्रेममयी गीत अच्छा लगा , बधाई
बहुत सुन्दर नवगीत
...
श्रृंगार रस से ओत प्रोत सुन्दर गीत !
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
बड़ा प्यारा अंदाज़ है इस रचना में ...आनंद आ गया रवि जी !
प्रोफाइल में आप अपने वेब पेज का लिंक ठीक करें ....शुभकामनायें !!
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
आओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।
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